श्री शनि चालीसा: जीवन के कष्टों को हरने वाला अनमोल पाठ
शनि देव को न्याय के देवता और कर्मों के फलदाता के रूप में पूजा जाता है। वे भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं।
शनि देव को न्याय के देवता और कर्मों के फलदाता के रूप में पूजा जाता है। वे भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
श्री दुर्गा चालीसा पढ़ने का महत्व, इसके लाभ, सही समय और तरीका जानें। इस ब्लॉग में जानें कि कैसे दुर्गा चालीसा पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि और शक्ति प्राप्त की जा सकती है।
वेदों और ज्योतिष शास्त्र में एक गहरी समझ और सूक्ष्म दृष्टिकोण है, जिससे व्यक्ति की जिंदगी के उतार-चढ़ाव को समझने में मदद मिलती है।
Vedic astrology, one of the oldest systems of astrology, is rooted in the ancient Indian scriptures and offers profound insights into the influence of celestial bodies on human life.
रचना और संरचना:
हनुमान चालीसा की रचना अवधी भाषा में की गई है। इसमें दो दोहों के साथ प्रारंभ होता है, जिनमें गुरु की महिमा का वर्णन है,
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
Astrology, the ancient science of understanding cosmic influences, provides fascinating insights into the connection between celestial bodies and human health.
‘Navagraha’ or nine planets as they are called in Hindi Astrology (ज्योतिष शास्त्र) hold great importance in our lives. How each planet is connected to a deity. Some frequently asked questions about planets.