हनुमान चालीसा का महत्व
रचना और संरचना:
हनुमान चालीसा की रचना अवधी भाषा में की गई है। इसमें दो दोहों के साथ प्रारंभ होता है, जिनमें गुरु की महिमा का वर्णन है,
रचना और संरचना:
हनुमान चालीसा की रचना अवधी भाषा में की गई है। इसमें दो दोहों के साथ प्रारंभ होता है, जिनमें गुरु की महिमा का वर्णन है,
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥