श्रीराम-वन्दन
नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्ग सीतासमारोपितवामभागम् ।
पाणौ महाशायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ॥
भगवान् श्रीजानकीनाथकी आरती
जय जानकिनाथा, जय श्रीरघुनाथा ।
दोउ कर जोरें बिनवौं प्रभु! सुनिये बाता ॥ टेक ॥
तुम रघुनाथ हमारे प्रान, पिता-माता।
तुम ही सज्जन-संगी भक्ति-मुक्ति-दाता ॥ जय० ॥
लख चौरासी काटो मेटो यम-त्रासा।
निसिदिन प्रभु मोहि राखिये अपने ही पासा ॥ जय० ॥
राम भरत लछिमन सँग शत्रुहन भैया।
जगमग ज्योति विराजै, सोभा अति लहिया ॥ जय० ॥
हनुमत नाद बजावत; नेवर झमकाता।
स्वर्णथाल कर आरती कौसल्या माता ॥ जय० ॥
सुभग मुकुट सिर, धनु सर कर सोभा भारी।
मनीराम दर्शन करि पल-पल बलिहारी ॥ जय० ॥